Friday 6 June 2014

अनाधिकृत कार्य

एक दिन मैं एक नीम के पेड़ से दातून के लिए डंठल तोड़ने लगा.  नीम के डंठल तोड़ते ही एक कौआ कांव-कांव करता हुआ मेरे सिर के चारों तरफ घूमने लगा और कुछ ही क्षण में सैंकड़ो कौवे इर्द गिर्द मंडराने लगे.  मैं इस घटना के कारण को नहीं जान सका और अपने सिर को ढकते हुए घर में प्रवेश कर गया.  दूसरे दिन प्रातः डंठल तोड़ने के क्रम में कौओं का आक्रमण मेरे मुँह ढकने के बाद भी हुआ.  कौओं की तत्क्षण एकजुटता से में अभी भी विस्मित हूँ.  जो भी हो उस दिन के बाद से मैं किसी भी पौधे या वृक्ष से उसके बिना अनुमति के उससे कुछ नहीं प्राप्त करता हूँ. 

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